Srimad Bhagavad Gita Quotes In Hindi: भागवत गीता 110+ विचार इसे सभी को जानना चाहिए ।

Srimad Bhagavad Gita Quotes in Hindi एक शाश्वत और अद्भुत ग्रंथ है, जो जीवन, अध्यात्म और आत्मप्रकाश के बारे में गहरे विचार प्रस्तुत करता है। यह भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ संवाद है, जिसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी शिक्षा दी। गीता के उपदेश कर्म, भक्ति और ज्ञान के बारे में हैं, जो हर व्यक्ति के जीवन में शांति, उद्देश्य और सफलता लाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यह उपदेश समय और स्थान से परे हैं और आज भी हमें सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

Srimad Bhagavad Gita Quotes In Hindi: भागवत गीता 110+ विचार इसे सभी को जानना चाहिए, क्योंकि ये उद्धरण जीवन के हर पहलू को समझने में मदद करते हैं। ये विचार मानव व्यवहार, निर्णय और आध्यात्मिक उन्नति के बारे में गहरी समझ प्रदान करते हैं और जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाने की प्रेरणा देते हैं।

bhagavad gita quotes in hindi : भागवत कि 108 विचार

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(1) हर इंसान को कर्म में विश्वास करना चाहिए क्योंकि कर्म आपके हाथ में है। परिणाम पर ध्यान न दें, बस मेहनत करें। केवल काम पर ध्यान लगाएं और मेहनत करें।

(2) भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इच्छाओं और कामनाओं में डूबे रहना दुखों का कारण है। यदि आप अपना कर्तव्य निभाएं, तो जीवन खुशहाल होगा। यही सच्ची खुशी है।

(3) विश्वास रखें कि जो हुआ है, वह अच्छा हुआ है। जो हो रहा है वह भी अच्छा है, और जो होगा वह भी अच्छा होगा। इस विश्वास से शांति मिलती है।

(4) जीवन का आनंद ना तो कल में है, और ना ही भविष्य में। जीवन का असली आनंद आज को जीने में है, यानि अभी के पल में जीना चाहिए।

(5) यदि कोई विश्वास के साथ काम करता है, तो वह जो चाहे बन सकता है। विश्वास से हर कार्य में सफलता मिलती है। यही शक्ति है।

(6) भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं प्रत्येक जीव के ह्रदय में आसीन हूं। मैं ही स्मृति, ज्ञान और विस्मृति का कारण हूं। वेदों के द्वारा मुझे जाना जा सकता है।

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(7) श्री कृष्ण कहते हैं कि सदैव मेरा चिंतन करो, मेरे भक्त बनो, मेरी पूजा करो और मुझे नमस्कार करो। तुम मेरे पास आओगे, मैं तुम्हें वचन देता हूँ।

(8) मृत्यु के समय जो चेतना होती है, वही अगले शरीर में जाती है। यदि चेतना पशु जैसी बनी है, तो पशु शरीर मिलेगा।

(9) जीवन में खुश रहने के लिए, अपने फैसले परिस्थितियों के अनुसार लें। दूसरों की नकल करके दुखी नहीं होना चाहिए।

(10) श्री कृष्ण कहते हैं कि कोई भी कुछ भी कहे, बस संत रहें। सूरज की किरणें कितनी भी तेज हों, समुद्र सूखा नहीं करते।

(11) जो भी हो रहा है, उसे भगवान का आदेश मानें। यह सच्ची श्रद्धा है, क्योंकि हर घटना में कुछ अच्छा छिपा होता है।

(12) मनुष्य की आत्मा अविनाशी है, इसलिए मृत्यु से डरना बेकार है। आत्मा कभी नष्ट नहीं होती।

(13) भगवान का स्मरण करने से जीवन में शांति मिलती है। इससे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और मन में स्थिरता आती है।

(14) अच्छे कर्म ही धर्म हैं, और वे हमेशा हमें सच्चाई की ओर मार्गदर्शन करते हैं। धर्म पर चलने से जीवन में संतुलन आता है।

(15) समय का सदुपयोग करें, क्योंकि समय कभी लौटकर नहीं आता। यही सबसे कीमती संसाधन है।

(16) आत्मा, हमारी सच्ची पहचान है। शरीर एक अस्थायी आवास है, और आत्मा सदा रहती है।

(17) कभी भी अपने कर्मों के परिणाम पर चिंता मत करें, बस अपने कर्तव्य को निभाएं। कार्य से जुड़ी चिंता केवल तनाव बढ़ाती है।

(18) अगर आप शांति चाहते हैं, तो दूसरों को भी शांति देने की कोशिश करें। यह जीवन को आसान बनाता है और आत्मा को संतुष्ट करता है।

(19) धैर्य रखें, क्योंकि कठिन समय जल्द ही गुजर जाता है। जीवन में हर मुश्किल का एक अंत होता है।

(20) सच्चे मित्र वही होते हैं, जो मुश्किलों में साथ देते हैं। सुख के समय तो हर कोई साथ होता है।

(21) अपने भीतर आत्मविश्वास रखें, क्योंकि यह जीवन को सही दिशा में ले जाता है। आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है।

(22) जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसी में संतुष्ट रहो। यह भगवान की इच्छा का सम्मान करना है और जीवन में संतोष पाना है।

 जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसी में संतुष्ट रहो।

(23) दूसरों को क्षमा करना सीखो, क्योंकि यह दिल को हल्का और शांत करता है। यह जीवन को सरल बनाता है और आत्मा को शुद्ध करता है।

(24) प्राकृतिक चीजों का आदानप्रदान करें, यह आत्मा को शांति और संतोष देता है। प्रकृति से जुड़ना महत्वपूर्ण है।

(25) हमेशा अपने कार्यों में निष्कलंक रहें, ताकि आत्मा पर कोई बोझ न हो। यह शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

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(26) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में कभी भी असफलताओं से डरें नहीं। असफलता से ही सफलता का रास्ता मिलता है। आपके कठिन संघर्ष ही आपको महान बनाते हैं।

(27) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति अपने कर्मों में ईमानदार रहता है, वही अपने जीवन का सही मार्ग पाता है। कर्म से ही जीवन में सफलता और संतुष्टि आती है।

(28) श्री कृष्ण कहते हैं, अगर तुम्हें किसी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है, तो उस काम को पूरी निष्ठा और मेहनत से करो। बिना ईमानदारी के सफलता संभव नहीं।

(29) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करता है, वही आत्मसंयम से जीवन में शांति पाता है। इच्छाओं की असीमितता से ही दुःख पैदा होते हैं।

(30) श्री कृष्ण कहते हैं, हर स्थिति में संतुलन बनाए रखना चाहिए। कोई भी अत्यधिक खुशी या दुःख जीवन का हिस्सा नहीं होते, इनसे दूर रहना ही जीवन की सच्ची कला है।

(31) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति दूसरे की मदद करता है, वही सच्चा महान व्यक्ति है। दया और सहयोग से ही जीवन का असली सुख मिलता है।

(32) श्री कृष्ण कहते हैं, अगर आपको सफलता प्राप्त करनी है, तो पहले अपने मन को नियंत्रित करना सीखें। मन की अवस्था ही आपके कर्मों का परिणाम निर्धारित करती है।

(33) श्री कृष्ण कहते हैं, सच्चा ज्ञान वही है, जो हमें हमारी आत्मा से जुड़ने की प्रेरणा दे। ज्ञान और कर्म का सही संतुलन जीवन में सफलता लाता है।

(34) श्री कृष्ण कहते हैं, कभी भी नफरत और द्वेष से अपने मन को दाग मत लगाओ। जो जितना शांति और प्रेम से भरा होता है, वह उतना ही सफल होता है।

(35) श्री कृष्ण कहते हैं, जो आदमी अपनी भावनाओं पर काबू रखता है, वही सच्चे अर्थों में महान होता है। अपनी भावनाओं को सही दिशा में प्रयोग करने से जीवन सफल होता है।

(36) श्री कृष्ण कहते हैं, जैसे एक बर्तन के भीतर जल होता है, वैसे ही आत्मा में सत्य का अस्तित्व है। उसे जानने के लिए आपको आत्मा का सही ज्ञान होना चाहिए।

(37) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। हर कार्य को पूरी निष्ठा से करना चाहिए, इससे ही सफलता मिलती है।

(38) श्री कृष्ण कहते हैं, असल में सच्ची खुशी दूसरों की भलाई में छिपी होती है। जब आप दूसरों के लिए अच्छा करते हैं, तभी आत्मिक सुख का अनुभव होता है।

(39) श्री कृष्ण कहते हैं, किसी भी कार्य को बिना अपेक्षाओं के करो, क्योंकि कर्म का फल हमेशा सर्वश्रेष्ठ होता है। कर्म पर ध्यान केंद्रित करो, फल पर नहीं।

(40) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन वही व्यक्ति महान बनता है जो इन कठिनाइयों से घबराता नहीं। समस्याओं से लड़कर ही असली सफलता प्राप्त होती है।

(41) श्री कृष्ण कहते हैं, अगर तुम्हें जीवन में सही दिशा चाहिए, तो अपने ह्रदय की आवाज सुनो। यह तुम्हारे मार्गदर्शन के लिए हमेशा तैयार रहती है।

(42) श्री कृष्ण कहते हैं, शांति केवल बाहरी दुनिया में नहीं होती, बल्कि यह आपके अंदर से उत्पन्न होती है। आत्मा की शांति से ही संसार की शांति संभव है।

(43) श्री कृष्ण कहते हैं, ज्ञान और साधना से आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है। यह शुद्धता ही जीवन को सही दिशा दिखाती है।

(44) श्री कृष्ण कहते हैं, जो मनुष्य अपने कर्मों को भगवान के हवाले करता है, उसे जीवन में कोई भी डर नहीं सताता। भगवान की शक्ति से वह हर स्थिति में आत्मविश्वास रखता है।

(45) श्री कृष्ण कहते हैं, हर इंसान में अच्छाई छिपी होती है, बस उसे जागृत करने की आवश्यकता होती है। अच्छाई से ही जीवन में सफलता और सुख आता है।

(46) श्री कृष्ण कहते हैं, अगर तुम किसी कार्य में पूर्णत: समर्पित रहते हो, तो भगवान तुम्हारी मदद करते हैं। बिना किसी उद्देश्य के किए गए कार्यों का कोई परिणाम नहीं होता।

(47) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में अपनी प्राथमिकताओं को सही तरीके से तय करें। जब आप अपने लक्ष्य को समझकर चलेंगे, तो कोई भी विघ्न रास्ते में नहीं आएगा।

(48) श्री कृष्ण कहते हैं, कर्म करने से आत्मा को शांति मिलती है, और परिणाम से उत्पन्न दुख से बचा जा सकता है। हमेशा अपने कर्मों में निष्ठा रखें।

(49) श्री कृष्ण कहते हैं, भय और तनाव को अपने जीवन से बाहर निकालो। भगवान के प्रति विश्वास रखने से जीवन में शांति और संतुलन आता है।

(50) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है समय। इसे बेकार मत जाने दो, बल्कि समय का सही उपयोग करो। यही जीवन का सार है।

bhagavad gita quotes in hindi

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(51) श्री कृष्ण कहते हैं, जो आत्मा के रूप को समझते हैं, वे कभी भी किसी भी परिस्थितियों में नहीं घबराते। आत्मा अजरअमर है, वह कभी नष्ट नहीं होती।

(52) श्री कृष्ण कहते हैं, संतोष से ही जीवन में सच्ची सुखशांति मिलती है। जो संतुष्ट रहता है, वह कभी दुखी नहीं होता।

(53) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति अपनी कर्मों से अर्पण करता है, वही सच्चा भक्त होता है। कर्म के द्वारा ईश्वर को प्रसन्न किया जा सकता है।

(54) श्री कृष्ण कहते हैं, यदि तुम अपने कार्यों में निष्कलंक रहते हो, तो दुनिया के किसी भी संकट से तुम अछूते रहते हो। कर्मों में ईश्वर का ध्यान रखो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।

(55) श्री कृष्ण कहते हैं, जो किसी भी कार्य को बिना किसी परिणाम की चिंता किए करते हैं, वही सच्चे भक्त होते हैं। उनका हर काम भगवान के प्रति भक्ति का रूप होता है।

(56) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन के कठिन रास्तों पर चलने के बाद ही असली सफलता मिलती है। संघर्ष के बिना जीवन में कोई भी आनंद नहीं होता।

(57) श्री कृष्ण कहते हैं, जब तक आपका मन स्थिर नहीं होता, तब तक आपके कर्मों में पूर्णता नहीं हो सकती। अपने मन को शांत और स्थिर रखने से ही जीवन का उद्देश्य प्राप्त होता है।

(58) श्री कृष्ण कहते हैं, किसी भी संकट से उबरने के लिए परमात्मा की शक्ति का ध्यान करें। भगवान का ध्यान करने से हर कठिनाई का समाधान निकलता है।

(59) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति कभी किसी से द्वेष नहीं करता, वही सच्चे अर्थों में संसार में खुश रहता है। दूसरों से प्रेम करने से ही शांति मिलती है।

(60) श्री कृष्ण कहते हैं, जब आपका मन सच्चाई के मार्ग पर चलता है, तो भगवान आपकी सहायता करते हैं। सच्चे मार्ग पर चलते हुए कोई भी मुश्किल असंभव नहीं होती।

(61) श्री कृष्ण कहते हैं, जो स्वयं में आत्मज्ञान प्राप्त करता है, वह न किसी के प्रति मोह रखता है और न ही किसी से डरता है। आत्मा का ज्ञान ही सबसे बड़ी शक्ति है।

(62) श्री कृष्ण कहते हैं, जो लोग दूसरों की निंदा करते हैं, वे खुद को कभी शांत नहीं रख पाते। दूसरों के दोषों को देखने की बजाय, अपनी अच्छाइयों पर ध्यान लगाएं।

(63) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से काम करता है, उसका हर कार्य पुण्य का कारण बनता है। निःस्वार्थ सेवा से ईश्वर को प्रसन्न किया जा सकता है।

(64) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में जब भी चुनौतियाँ आएं, तो उन्हें एक अवसर के रूप में देखें। हर कठिनाई जीवन में कुछ नया सिखाने आती है।

(65) श्री कृष्ण कहते हैं, संसार की अस्थिरता को देखकर डरने की बजाय, आत्मा की स्थिरता को पहचानो। आत्मा कभी नष्ट नहीं होती, इसलिए असली शक्ति को पहचानो और आत्मविश्वास बढ़ाओ।

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(66) श्री कृष्ण कहते हैं, जब आप अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने मन को स्थिर और शांत रखते हैं, तो कोई भी संकट आपको हरा नहीं सकता।

(67) श्री कृष्ण कहते हैं, डर और चिंता से मुक्त होकर अपना कार्य करो, क्योंकि ईश्वर ही आपके कर्मों का फल देने वाले हैं, और आपकी मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

(68) श्री कृष्ण कहते हैं, जो जीवन में कर्तव्य का पालन करता है, वह अपने कर्मों में न केवल सफलता प्राप्त करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतोष भी प्राप्त करता है।

(69) श्री कृष्ण कहते हैं, आपकी सच्ची ताकत आपके भीतर है। जब आप अपने आत्मविश्वास को पहचानते हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको रोक नहीं सकती।

(70) श्री कृष्ण कहते हैं, जो अपने कर्तव्य को ईश्वर के आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करते हैं, उनका जीवन हमेशा सुखमय और समृद्ध होता है।

(71) श्री कृष्ण कहते हैं, यदि आप अपनी पूरी शक्ति और निष्ठा से कार्य करते हैं, तो आपके द्वारा किया गया कोई भी कार्य असफल नहीं हो सकता।

(72) श्री कृष्ण कहते हैं, जब तक आप अपने भीतर की शक्तियों का अहसास नहीं करते, तब तक जीवन में असल सफलता का स्वाद नहीं चख सकते। आत्मविश्वास ही सफलता का मार्ग है।

(73) श्री कृष्ण कहते हैं, अपने कर्मों में पूरी ईमानदारी से लगे रहिए, क्योंकि कर्म का फल कभी भी आपको एक दिन मिलकर रहेगा, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।

(74) श्री कृष्ण कहते हैं, अगर आप विश्वास रखते हुए बिना किसी भय के कार्य करते हैं, तो जीवन में आपको हर दिशा में सफलता मिलेगी।

(75) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में किसी भी स्थिति में न रुकें और न थमें, हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। कठिनाईयाँ आपको मजबूत बनाती हैं, और सफलता का रास्ता इन्हीं से गुजरता है।

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(76) श्री कृष्ण कहते हैं, जो मनुष्य न तो सुख में और न ही दुःख में आसक्त होता है, वही सच्चा ज्ञानी होता है। ऐसे लोग अपने कर्मों में सद्गति को प्राप्त करते हैं।

(77) श्री कृष्ण कहते हैं, जो अपने कार्यों को भगवान के अर्पण करता है, उसे कभी भी कोई दीनहीन स्थिति नहीं आती। भगवान के प्रति भक्ति ही सच्ची शक्ति है।

(78) श्री कृष्ण कहते हैं, जो अपने कर्तव्य को भगवान के निर्देश के रूप में समझता है, उसका हर कार्य भगवान द्वारा प्रोत्साहित होता है और वह जीवन में सच्ची सफलता प्राप्त करता है।

(79) श्री कृष्ण कहते हैं, हर कोई अपनी भावना और कर्मों से अपना भविष्य बनाता है। अगर आप सही दिशा में काम करते हैं, तो जीवन में कोई भी असफलता नहीं होगी।

(80) श्री कृष्ण कहते हैं, अगर आप कर्तव्य में लीन होकर कार्य करते हैं, तो परिणाम चाहे जैसा हो, वह हमेशा आपका मार्गदर्शन करेगा। इसलिए कार्य में पूर्ण निष्ठा रखें।

(81) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति ईश्वर के साथ अपनी आत्मा को जोड़ता है, वह हर अस्थिरता से परे हो जाता है। ईश्वर के साथ ही हर समस्या का समाधान होता है।

(82) श्री कृष्ण कहते हैं, जो समय के साथ, अपने जीवन के हर क्षण को समझता है, वह हमेशा आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त करता है। समय की क़ीमत को पहचानें।

(83) श्री कृष्ण कहते हैं, जैसा तुम अपने मन में सोचते हो, वैसा ही तुम बन जाते हो। अपने मन को सही दिशा में प्रशिक्षित करो और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ो।

(84) श्री कृष्ण कहते हैं, जब आप अपने कर्मों के परिणाम से मुक्त होकर कार्य करते हैं, तो आप भगवान के करीब होते हैं। भगवान की कृपा तभी मिलती है जब आप पूरी निष्ठा से कार्य करते हैं।

(85) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति नश्वर शरीर से परे आत्मा को पहचानता है, वह कभी भी भयभीत नहीं होता। उसे मृत्यु और जन्म के चक्र का कोई असर नहीं होता।

(86) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति खुद को और अपने कार्यों को भगवान के प्रति अर्पित कर देता है, वह कभी भी हार नहीं सकता और उसका जीवन सच्ची शांति से भरा रहता है।

(87) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन जो लोग उनका सही तरीके से सामना करते हैं, वे ही महान बनते हैं। कठिन समय ही असली ताकत को पहचानने का मौका देता है।

(88) श्री कृष्ण कहते हैं, भगवान का ध्यान करने से मन शांत होता है और जीवन में सुखशांति आती है। जो व्यक्ति हर समय भगवान में मन लगाता है, उसे किसी भी बात की चिंता नहीं रहती।

(89) श्री कृष्ण कहते हैं, सही मार्ग पर चलते हुए कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन उस मार्ग पर चलने से ही आत्मा को सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है। हर परिश्रम का फल कभी न कभी मिलता है।

(90) श्री कृष्ण कहते हैं, जो मनुष्य अपने इच्छाओं और भौतिक सुखों से परे होकर अपना जीवन सही दिशा में चलाता है, वह ही सच्ची मुक्ति प्राप्त करता है।

(91) श्री कृष्ण कहते हैं, जब आप अपने कर्मों का फल भगवान पर छोड़ देते हैं, तो आप मानसिक शांति और संतोष को महसूस करते हैं। जीवन में कोई भी चिंता आपको परेशान नहीं कर सकती।

(92) श्री कृष्ण कहते हैं, आत्मा अजर और अमर है। यह शरीर के साथ नहीं मरती। जब हम इसे समझते हैं, तो हम जीवन के हर संकट का सामना आराम से कर पाते हैं।

(93) श्री कृष्ण कहते हैं, जब तक आप खुद को पहचान नहीं लेते, तब तक आप सच्चे आनंद और शांति को महसूस नहीं कर सकते। आत्मा का ज्ञान ही जीवन का सबसे बड़ा धन है।

(94) श्री कृष्ण कहते हैं, जो अपने कर्मों को बिना किसी आसक्ति के करते हैं, वे ही सच्चे भक्त होते हैं। उन्हें न तो दुख होता है और न ही वे किसी पर निर्भर होते हैं।

(95) श्री कृष्ण कहते हैं, जब आप अपने कामों में भगवान का ध्यान रखते हैं और उनका उद्देश्य समझते हैं, तो आपका हर कार्य महान बन जाता है। कर्म ही जीवन का मूल है।

(96) श्री कृष्ण कहते हैं, भूतकाल या भविष्य की चिंता करने से आपका वर्तमान खराब हो जाता है। इसलिए, वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें और अपना कार्य पूरी निष्ठा से करें।

(97) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति बिना किसी मोह के अपने कर्तव्य का पालन करता है, वह अपने जीवन को सच्ची सफलता और खुशी की ओर मार्गदर्शित करता है।

(98) श्री कृष्ण कहते हैं, हर समस्या का हल भीतर से आता है। आत्मा की आवाज़ सुनकर ही जीवन के कठिन निर्णय लिए जा सकते हैं। आत्मज्ञान ही सर्वोत्तम मार्गदर्शन है।

(99) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन बनाए रखता है, वह हमेशा सफलता प्राप्त करता है। काम, भक्ति, और ध्यान के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

(100) श्री कृष्ण कहते हैं, समय कभी रुकता नहीं है, और जीवन में हर पल महत्वपूर्ण है। इसलिए हर क्षण को भगवान की सेवा और कर्म में लगाएं, इससे आपको असली सुख मिलेगा।

(101) श्री कृष्ण कहते हैं, जो अपने कार्यों में पूरी निष्ठा और विश्वास रखता है, वह जीवन के हर मोड़ पर सफलता प्राप्त करता है। आत्मविश्वास और ईश्वर पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है।

(102) श्री कृष्ण कहते हैं, जब आप अपने कर्मों को पूर्ण रूप से भगवान को अर्पित कर देते हैं, तो आपके लिए हर कार्य एक साधना बन जाती है और जीवन में सुख और शांति आती है।

(103) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति आत्मा के बारे में ज्ञान प्राप्त करता है, वह न कभी डरता है, न कभी परेशान होता है। आत्मा शाश्वत है और नष्ट नहीं होती।

(104) श्री कृष्ण कहते हैं, हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने कार्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाए। जब कार्य में कोई कमी नहीं होती, तो परिणाम हमेशा अच्छा होता है।

(105) श्री कृष्ण कहते हैं, कर्म करने से भय नहीं होना चाहिए, बल्कि कार्य को ईश्वर के समर्पण के रूप में करना चाहिए। हर कार्य का फल समय पर मिलता है।

(106) श्री कृष्ण कहते हैं, जीवन का उद्देश्य आत्मा का अनुभव करना है। जब हम आत्मा की सच्चाई को समझते हैं, तो जीवन का हर दर्द और चुनौती हल हो जाती है।

(107) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति अपने दिल में सच्चे प्रेम और भक्ति को लेकर भगवान का ध्यान करता है, वह हमेशा जीवन में सफल और सुखी रहता है।

(108) श्री कृष्ण कहते हैं, बिना आत्मा के शरीर में कोई जीवन नहीं हो सकता। जब आप अपनी आत्मा को पहचानते हैं, तो आप संसार की हर बुराई से ऊपर उठ सकते हैं।

(109) श्री कृष्ण कहते हैं, दूसरों को खुशी देने से ही आत्मा को शांति मिलती है। जब आप दूसरों के लिए जीते हैं, तो आपका जीवन स्वयं आशीर्वाद से भर जाता है।

(110) श्री कृष्ण कहते हैं, जो व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ जुड़ता है, वह संसार के किसी भी आकर्षण से प्रभावित नहीं होता। आत्मज्ञान ही आत्मा की असली शक्ति है।

FAQ’s

Srimad Bhagavad Gita क्या है?

Srimad Bhagavad Gita एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को जीवन के गहरे उपदेश देते हैं। यह कर्तव्य, भक्ति और आत्मसाक्षात्कार पर आधारित है।

Srimad Bhagavad Gita के उद्धरण क्यों महत्वपूर्ण हैं?

भगवद गीता के उद्धरण जीवन, आध्यात्मिकता और निर्णय लेने के बारे में शाश्वत मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। ये शांति और उद्देश्य प्राप्त करने में मदद करते हैं।

“भागवत गीता विचार इसे सभी को जानना चाहिए” का क्या मतलब है?

इसका मतलब है कि सभी को भगवद गीता के 110+ गहरे विचारों को जानना चाहिए, क्योंकि ये जीवन को अर्थपूर्ण बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भगवद गीता के उद्धरण दैनिक जीवन में कैसे मदद करते हैं?

इन उद्धरणों से सकारात्मक सोच, आत्मनिर्णय और आंतरिक शांति मिलती है, जो जीवन की चुनौतियों को समझने और पार करने में मदद करती है।

क्या भगवद गीता के उद्धरण आज के समय में प्रासंगिक हैं?

हां, भगवद गीता के उपदेश शाश्वत हैं और आज के समय में भी व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास में मार्गदर्शन करते हैं।

Conclusion

Srimad Bhagavad Gita एक शाश्वत मार्गदर्शक है जो जीवन के गहरे सत्य को समझने और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए है। इसके उपदेश कर्तव्य, भक्ति और ज्ञान के बारे में हैं, जो चुनौतियों से पार पाने और आत्मसंवेदन में शांति प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं। इन उपदेशों को अपनाकर, कोई भी व्यक्ति एक संपूर्ण और अर्थपूर्ण जीवन जी सकता है, जो आध्यात्मिक सिद्धांतों से मेल खाता है।

Srimad Bhagavad Gita Quotes In Hindi: भागवत गीता विचार इसे सभी को जानना चाहिए क्योंकि ये उद्धरण उन लोगों के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं जो स्पष्टता, व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक उन्नति की खोज कर रहे हैं।

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